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पचपेड़वा में प. पू. गु. का आध्यात्मिक जन्म दिवस/बसंत पंचमी पर्व मनाया गया
आज *बसंत पंचमी* (गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्म दिवस) के पावन पर्व पर गायत्री शक्तिपीठ पचपेड़वा में यज्ञ हवन के साथ सरस्वती पूजन उल्लास पूर्ण/बासंती वातावरण में संपन्न हुआ. श्री अंगद प्रसाद प्रजापति और परिव्राजक रामकुमार जी द्वारा बसंत पंचमी पूजन संपन्न कराया गया. इसी क्रम में शांतिकुंज से आगामी दिनों में तीन दिन के लिए आने वाले *ज्योति कलश यात्रा* के कार्यक्रम पर परिचर्चा हुई.
इस अवसर पर महिला मंडल की सदस्यों श्रीमती मीना श्रीवास्तव, केसरी देवी, माया वर्मा,सुनीता जायसवाल, प्रतिभा जायसवाल, आरती जायसवाल,कोकिला श्रीवास्तव, खेमराज,धर्मांशु जायसवाल, शशिकांत सोनी तथा लीलाधर चौरसिया सहित तमाम परिजनों की उपस्थिति सराहनीय रही.
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प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी 2025 तक रहेगा। महाकुम्भ क्षेत्र में सेक्टर 10 में गदा माधव मार्ग पर गायत्री परिवार का शिविर लगाया गया है। शिविर में मिशन से जुड़ी अनेक गतिविधियां लगातार 45 दिनों तक संचालित रहेंगी। अनेक जनपदों से गायत्री परिजनों को समयदान के लिए आमंत्रित किया गया है। गायत्री परिवार शिविर में प्रतिदिन सुबह 9 बजे से 12 बजे तक 51 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ किया जाएगा। सायं कालीन प्रतिदिन प्रज्ञा पुराण कथा का आयोजन होगा।
देव संस्कृति दिग्दर्शन की प्रदर्शनी भी शिविर में देखने को मिलेगी साथ ही मिशन का व्यसन मुक्ति अभियान व निर्मल गंगा जन अभियान, पर्य...
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वीर बाल दिवस के अवसर पर साहिबजादे क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में भरवारी नगर पालिका के सिंधिया में गुरुवार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के अवसर पर बाल संस्कारशाला सिंघिया द्वारा सामूहिक प्रश्नोत्तरी (क्विज) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन गोल्डन बाल विद्यालय सिंघिया में सायं 3 बजे से किया गया। आयोजन में 50 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया जिन्हें प्रत्येक प्रश्नों के सही उत्तर देने पर प्रश्नवार पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
प्रतियोगिता से कुछ दिन पूर्व बच्चों को अध्ययन के लिए चार साहिबजादों पर आधारित पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराई गई थी जिसमें गुरु नानकदेव, गुरु गोविंद सिंह, चमकौर का युद्ध, साहिबजादों पर आधारित जानकारी थी। उपलब्ध कराई गई पाठ्य सामग्री के आधार पर मौखित प्रश्न के माध्यम से प्रतियोगिता का...
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कौशाम्बी जनपद में 4 दिवसीय 24 कुण्डीय शक्तिसंवर्धन गायत्री महायज्ञ का कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
● 28 नवंबर को सायंकालीन 2400 दीपों से दीपयज्ञ का हुआ आयोजन
● सैकड़ों परिजनों ने यज्ञ के साथ कराए विभिन्न संस्कार, महिलाओं ने धारण किया यज्ञोपवीत
● प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से प्रज्ञायोग, ध्यान साधना के साथ प्रारंभ होता था कार्यक्रम
कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश से मां शीतला शक्तिपीठ का तीर्थक्षेत्र, भगवान बुद्ध जी की तपस्थली, 6वें तीर्थंकर पद्मप्रभु जी की जन्मस्थली ऐतिहासिक क्षेत्र कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के तत्वावधान में 24 कुण्डीय शक्तिसंवर्धन गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ होकर शुक्रवार 29 नवंबर को गायत्री महायज्ञ में पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ।
करारी नगर में कोतवाली के समीप 26 नवंबर से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम ...
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24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां
कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारियां कार्यक्रम स्थल पर समय के साथ जोर शोर से चल रही हैं। आयोजन स्थल पर साफ सफाई कार्य करते हुए और किनारों में क्यारियां बनाते हुए लिपाई का कार्य किया जा चुका है। अभी अनेक सजावटी कार्य करना शेष है जिसके लिए तेजी से कार्यकर्ता लगे हुए हैं।
गायत्री परिवार कौशाम्बी के सक्रिय परिजन इस आयोजन में अपना समय दान देकर कार्यक्रम की तैयारियां करा रहे हैं। निस्वार्थ भाव से की जा रही यह सेवा में जनपद के कार्यकर्ता बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं। गांव गांव जाकर लोगों को इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया ज...
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कौशाम्बी जनपद में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 26 नवंबर से 29 नवंबर तक
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार की जनपद इकाई के द्वारा करारी नगर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्यक्रम 26 से प्रारंभ होकर 29 नवंबर तक चलेगा जिसमें अनेक गतिविधियां जैसे कलश यात्रा, यज्ञ, प्रवचन, दीपयज्ञ, गोष्ठी आदि का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम सम्पन्न कराने के लिए शांतिकुंज हरिद्वार से टोली का आगमन होगा जिनके माध्यम से कार्यक्रम सम्पन्न कराए जाएंगे।
कार्यक्रम का आयोजन कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में किया जा रहा है। जनपद के गायत्री परिजन अत्यंत उत्साह के साथ कार्यक्रम की तैयारी प्रारंभ कर दिए हैं। कार्यक्रम को रचनात्मक स्वरूप देने के लिए जनपद के कार्यकर्ताओं के मध्य अनेक गोष्ठियों का आयोजन भी समय समय पर किया जा रहा है। आ...
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चिन्तन कम ही कीजिए।
*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ने हमारा रुपया उधार ले रखा है, वह वापस करेगा भी या हड़प लेगा? दिनों दिन बाजार में महंगाई उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। कल का खर्च कैसे चलेगा? कन्या बड़ी होती जा रही है। उसके लिये योग्य समृद्ध और शिक्षित वर का कैसे प्रबन्ध होगा? *हमारा पुत्र पढ़ता कम है। सारा समय खेलने में व्यतीत करता है। परीक्षा में कैसे उत्तीर्ण होगा? हमारी नौकरी लगी रहेगी, या छूट जायगी? हमारा स्वास्थ्य गिरता जा रहा है, कैसे सुधरेगा?* हमें जल्दी ही लम्बी यात्रा पर जाना है। मार्ग की कठिनाइयाँ कैसे हल होंगी? ऐसी ही किसी समस्या को लेकर आप द...
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भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक है। प्राचीन काल से ही यह पर्व दाम्पत्य जीवन में प्रेम, त्याग, और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है, लेकिन इसके धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव का विस्तार सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकता है।
इस दिन स्त्रियाँ सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल व्रत रखती हैं। वे करवा नामक एक छोटे घड़े का उपयोग करती हैं, जो अखंड सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है। चंद्रमा के दर्शन और पति द्वारा जल ग्रहण कराने के पश्चात व्रत को पूर्ण किया जाता है। इस व्रत का धार्मिक ...
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प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्या गरज पड़ी’’ जैसे उत्तर मिल जाते हैं। ऐसे प्रसंगों से आये दिन भेंट होती है। इनसे टकराया जाये तो मनुष्य का सारा जीवन टकराने में ही चला जाता है। उनसे निबटा न जाय यह तो नहीं कहा जाता, पर किसी भी काम में हमारी विचार और ग्रहण शक्ति सात्विक और ऊर्ध्ववती रहनी चाहिये। शत्रु से युद्ध करते हुये भी उसके गुण, साहस और सूझ-बूझ की प्रशंसा करनी चाहिये।
यही बात भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाई। जब उसे पता चला कि इस संसार में सब विरोधी ही विरोधी हैं तो भगवान कृष्ण ने समझाया—अर्जुन! भद्रं मनः कृणुष्व वृत्रतूर्ये इस संसार संग्राम में तू भद्र मनस्कता के साथ ...
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घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है, जो न्याय और सत्य की रक्षा करता है और यह घृणा ही है जो पाखंड और धूर्तता का दमन करती है। निंदा का भय न हो, क्रोध का आतंक न हो, घृणा की धाक न हो तो जीवन विश्रृंखल हो जाय और समाज नष्ट हो जाय। इनका जब हम दुरुपयोग करते हैं, तभी ये दुर्गुण हो जाते हैं, लेकिन दुरुपयोग तो अगर दया, करुणा, प्रशंसा और भक्ति का भी किया जाय, तो वह दुर्गुण हो जायेंगे। अंधी दया अपने पात्र को पुरुषार्थ-हीन बना देती है, अंधी करुणा कायर, अंधी प्रशंसा घमंडी और अंधी भक्ति धूर्त। प्रकृति जो कुछ करती है, जीवन की रक्षा ही के लिए करती है।...